एक जुलाई उन्नीस सौ इक्कीस की वह पवित्र तिथि जब स्व० केदार सिंह जी स्वर्गीय श्रीमती अतिराज देवी की कोख में श्री छत्रधारी सिंह जी ने गंजख्वाजा की पवित्र धरती पर अवतार लिया, तब से लेकर 3० अक्तूबर २००६ को महाप्रयाण तक की अपनी यात्रा में सदलपूरा को केंद्र बिंदु बनाकर इस क्षेत्र व् पुरे चन्दौली जनपद के विकास में जो अद्वितीय योगदान दिया दिया उसे देखते हुए यह क्षेत्र उन्हें महामना मालवीय जी की प्रतिमूर्ती के रूप में आज भी याद करता है |
विकास के सभी आयामों को मूर्तिमान करते हुए इस सुदूर पिछड़े इलाके की शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जो सपना देखा उसे अपने व्यक्तित्व व् कृतित्व से रूपायित भी किया जिसकी नवीनतम कड़ी के रूप में जगद गुरु स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती जी महाराज के अक्षय आशीर्वाद के सहारे जीवन संगिनी स्वर्गीय श्रीमती आशा देवी के अदम्य उत्साह के बूते पर डॉ० कैलाश नारायण सिंह व् श्रीमती सुशीला सिंह तथा श्री राधेमोहन सिंह के सहयोग से श्री सारनाथ सिंह व् श्री बासुदेव सिंह के सानिध्य में इस पुरे के क्षेत्र के भौतिक एवं आत्मिक सहयोग के बल पर " छत्रधारी महाविद्यालय " की स्थापना करने के सफल हुए जो इस क्षेत्र के भविष्य निर्माण में महती भूमिका अदा कर रहा है |.........Read More